वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />८ जनवरी, २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br /><br />बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ भैनाँ ते भरजाईयाँ<br />'मन्न लै बुल्लेया साड्डा कैहना, छड्ड दे पल्ला राईयाँ<br />आल नबी, औलाद अली, नूँ तू क्यूँ लीकाँ लाईयाँ?'<br />'जेहड़ा सानू सईय्यद सद्दे, दोज़ख़ मिले सज़ाईयाँ<br />जो कोई सानू राईं आखे, बहिश्तें पींगाँ पाईयाँ<br />राईं-साईं सभनीं थाईं रब दियाँ बे-परवाईयाँ<br />सोहनियाँ परे हटाईयाँ ते कूझियाँ ले गल्ल लाईयाँ<br />जे तू लोड़ें बाग़-बहाराँ चाकर हो जा राईयाँ<br />बुल्ले शाह दी ज़ात की पुछनी? शुकर हो रज़ाईयाँ'<br />~ बुल्लेशाह<br /><br />प्रसंग:<br />बाबा बुल्लेशाह जैसा कैसे बने?<br />बाबा बुल्लेशाह जैसा खरा कैसे बोले?<br />परिवार अध्यात्म का विरोध क्यों करता है?<br />अध्यात्म में परिवार के विरोध का सामना कैसे करें?<br />अध्यात्म का विरोध क्यों होता है?<br />सत्य की राह पर परिवार क्यों विरोध करता है?<br />अगर परिवार के लोग सुधरने को तैयार न हों तो क्या करें?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते